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हिंदी दिवस की कविताएं


कविता--साहित्य का आकाश

 
साहित्य का आकाश भी है गहन
न जाने कितने सत्य हैं दफन

असंख्य आकाशगंगाओं की तरह 
 साहित्य की भी गंगा है अनगिनत

असंख्य लहरों पर बेशकीमती मोतियाँ उगे
लहरों के भीतर सीपियों में खजाना भी सजे

नीलाभ आसमान सा दमकता रहे
साहित्य का आकाश चमकता रहे।

***
सीमा..✍️🌷
©®
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता

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7 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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Swati chourasia

20-Sep-2022 08:01 PM

बहुत खूब 👌

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Kavita Jha

18-Sep-2022 08:46 AM

बहुत सुंदर 👌👌

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